जयपुर के 37 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी: जयपुर ब्लास्ट की बरसी पर सुबह-सुबह स्कूलों के प्रिंसिपल को आया मेल

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जयपुर के 37 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी: जयपुर ब्लास्ट की बरसी पर सुबह-सुबह स्कूलों के प्रिंसिपल को आया मेल

जयपुर बम धमाकाें की 17वीं बरसी पर सोमवार को शहर के 56 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी के ई-मेल से हड़कंप मच गया। हालांकि जांच के बाद ये धमकी फेक साबित हुई।

यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले दिल्ली, एमपी और लखनऊ में भी इस तरह से धमकी भरे ई-मेल से दहशत फैलाई गई थी। किसी भी मामले में पुलिस और जांच एजेंसियां दहशत फैलाने वालों तक नहीं पहुंच पाई।

दिल्ली और जयपुर में भेजे ई-मेल में रूस के सर्वर का इस्तेमाल

पुलिस शहर के स्कूलों को मिले ई-मेल की भाषा की जांच में जुटी है। इसके साथ ही एक दिन पहले जयपुर एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी और कुछ दिन पहले दिल्ली में स्कूलों को उड़ाने के भेजे गए ई-मेल की शब्दावली की भी जांच कर रही है।

पुलिस अधिकारी इस संबंध में अधिकारिक रूप से अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन इस बात की पूरी आशंका है कि दिल्ली और जयपुर की घटनाओं के पीछे कोई एक संगठन या गिरोह हो सकता है।

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि दोनों ही जगह भेजे गई ई-मेल में रूस के सर्वर का इस्तेमाल किया गया है। दिल्ली के स्कूलों को awariim@mail.ru और जयपुर के स्कूलों को instrumenttt@inbox.ru आईडी से ई-मेल भेजा गया है।

दिल्ली में 1 मई को 200 से ज्यादा स्कूलों को धमकी भरा ई-मेल भेजा गया था।

डार्कनेट और प्रॉक्सी सर्वर का बढ़ रहा दुरुपयोग

साइबर क्राइम की दुनिया में डार्कनेट और प्रॉक्सी सर्वर का दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। साइबर सिक्योरिटी एंड लॉ एक्सपर्ट मोनाली कृष्णा गुहा का कहना है कि इस तरह के ई-मेल भेजने के दौरान शातिर अपराधी अमूमन डार्कनेट या प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल करते रहे हैं। जिसके कारण पुलिस जांच को किसी नतीजे तक पहुंचने में काफी समय लगता है।

एक्सपर्ट बोले- सीबीआई और इंटरपोल की मदद लेनी चाहिए

साइबर क्राइम पुलिस थाना के पूर्व इंचार्ज राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि किसी थाना स्तर की पुलिस ऐसे आरोपियों तक नहीं पहुंच सकती है।

पुलिस के पास जांच के लिए पर्याप्त सॉफ्टवेयर और संसाधन मौजूद हैं। लेकिन इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। जांच अधिकारी इन टूल्स का प्रशिक्षण लेने के बावजूद उपयोग नहीं करते हैं।

वीपीएन का उपयोग करने पर पुलिस को सीबीआई और इंटरपोल की मदद लेनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि इनका पता नहीं लगाया जा सकता है। यह एक लंबी प्रक्रिया होती है, लेकिन जांच केवल थाना स्तर पर छोड़ दी जाती है। जबकि एजेंसी की मदद लेने के लिए पुलिस को हायर लेवल पर काम करने की जरूरत है।

जयपुर के स्कूलों में इस तरह फैली दहशत

  • रविवार और सोमवार की दरमियानी रात 3.49 बजे भेजा ई-मेल

  • करीब 6 बजे स्कूल प्रशासन से मिली पहली सूचना

  • इसके बाद से एक के बाद एक 56 स्कूलों ने पुलिस कमिश्नरेट को दी जानकारी

  • कमिश्नरेट के आला अधिकारियों ने संभाला मोर्चा

  • अलग-अलग स्कूलों में डॉग स्क्वायड, बम निरोधक दस्ता और दमकलों का काफिला पहुंचा

  • सुबह छह बजे से सर्च अभियान जारी

  • चीफ सेक्रेटरी ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग

  • पुलिस ने जांच के बाद की पुष्टि, अफवाह है घबराए नहीं

  • देश के कई राज्यों की स्कूलों में भेजी गई धमकियां

    जयपुर से पहले भी कई राज्यों की स्कूलों को बड़ी संख्या में धमकी भरे ई-मेल भेजे जा चुके हैं। एक मई को दिल्ली के 222 स्कूलों में बम की फर्जी सूचना ई-मेल से मिली थी। बाद में इसी ई-मेल से अहमदाबाद की 6 स्कूलों को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई। इसी साल फरवरी में चेन्नई के 13 स्कूलों और अप्रैल में कोलकाता के स्कूलों को भी इसी तरह धमकी भरे ई-मेल भेजे गए थे। वहीं पिछले साल 2023 में बेंगलुरु के करीब पचास स्कूलों को बम होने की फर्जी सूचना दी थी।

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